Friday, 16 July 2010

क्यूँ है...

दिल  में यह हलचल क्यूँ  है 
बंधी  बंधी  सी  हसरत  क्यूँ  है

है  सब  जो  ज़रूरी  गुज़र  बसर को
गुज़र  बसर  बेमतलब  क्यूँ  है

पर  है... 
आसमा है...
ख्वाइशे हैं...
 


उड़ने  मैं  फिर  डर  ये  क्यूँ  है...

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