दिल में यह हलचल क्यूँ है
बंधी बंधी सी हसरत क्यूँ है
है सब जो ज़रूरी गुज़र बसर को
गुज़र बसर बेमतलब क्यूँ है
पर है...
आसमा है...
ख्वाइशे हैं...
उड़ने मैं फिर डर ये क्यूँ है...
Friday, 16 July 2010
Thursday, 1 July 2010
कितने नादान हम हैं
कभी वो आगे होती है , कभी हम आगे होते हैं
कभी वो हस्ती होती है , कभी हम हस्ते होते हैं
कभी वो हारी होती है , कभी हम हारे होते हैं
कभी सब उसका लगता है , कभी सब अपना लगता है
जो कभी बैठ के सोचो , जो कभी गौर से देखो
हमेशा वो ही आगे थी , हमेशा वो ही हस्ती थी
हमेशा वो ही जीती थी , हमेशा वो ही सब कुछ थी
हम तो बस इक किनारे थे , बस उसके ही सहारे थे
जब उसको खेलना होता , मनं उसका बहलना होता
तो होते हम मज्धारे हैं
कितने नादान हम हैं की फिर से बस यही सोचे
कभी वो आगे होती है , कभी हम आगे होते हैं
कभी वो हस्ती होती है , कभी हम हस्ते होते हैं
कभी वो हस्ती होती है , कभी हम हस्ते होते हैं
कभी वो हारी होती है , कभी हम हारे होते हैं
कभी सब उसका लगता है , कभी सब अपना लगता है
जो कभी बैठ के सोचो , जो कभी गौर से देखो
हमेशा वो ही आगे थी , हमेशा वो ही हस्ती थी
हमेशा वो ही जीती थी , हमेशा वो ही सब कुछ थी
हम तो बस इक किनारे थे , बस उसके ही सहारे थे
जब उसको खेलना होता , मनं उसका बहलना होता
तो होते हम मज्धारे हैं
कितने नादान हम हैं की फिर से बस यही सोचे
कभी वो आगे होती है , कभी हम आगे होते हैं
कभी वो हस्ती होती है , कभी हम हस्ते होते हैं
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